गोल्डन फ्रेम एकेडमी ऑफ फिल्म आर्ट्स में हबीब तनवीर की जयंती पर रंगमंच की विरासत को किया गया याद

गोल्डन फ्रेम एकेडमी ऑफ फिल्म आर्ट्स में हबीब तनवीर की जयंती पर रंगमंच की विरासत को किया गया याद
रायपुर, 1 सितम्बर।
गोल्डन फ्रेम एकेडमी ऑफ फिल्म आर्ट्स में आज भारतीय रंगमंच के शलाका पुरुष हबीब तनवीर जी की जयंती पर एक विशेष आयोजन किया गया। इस अवसर पर विद्यार्थियों और नई पीढ़ी को उनके जीवन, कृतित्व और योगदान से अवगत कराया गया।
हबीब तनवीर, जिनका जन्म 1 सितम्बर 1923 को रायपुर में हुआ था, भारतीय रंगमंच के सबसे बड़े प्रयोगधर्मी नाट्यकार, निर्देशक, कवि और अभिनेता माने जाते हैं। उन्होंने छत्तीसगढ़ की लोक परंपराओं को मंच पर जीवंत करते हुए लोकधर्मी रंगकर्म को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई।
कार्यक्रम में विद्यार्थियों को बताया गया कि तनवीर जी ने ‘आगरा बाज़ार’, ‘मिट्टी की गाड़ी’, ‘गाँव का नाम ससुराल मोर नाम दामाद’ और ‘चरणदास चोर’ जैसे कालजयी नाटक रचे, जिनमें लोक गीत, संगीत और संस्कृति का अद्भुत समावेश था। उनके द्वारा स्थापित ‘नया थिएटर’ ने ग्रामीण कलाकारों को मंच और सम्मान दिया, जिसने भारतीय रंगमंच को नई दिशा प्रदान की।
गोल्डन फ्रेम एकेडमी ने इस अवसर पर उनके जीवन की झलकियाँ प्रस्तुत करते हुए विद्यार्थियों से अपील की कि वे तनवीर जी की लोकधर्मी परंपरा को आत्मसात करें और भारतीय रंगमंच की आत्मा को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाएँ।
कार्यक्रम के अंत में विद्यार्थियों और शिक्षकों ने पुष्पांजलि अर्पित कर हबीब तनवीर जी को श्रद्धांजलि दी और उनके विचारों को आगे ले जाने का संकल्प लिया।
– गोल्डन फ्रेम एकेडमी ऑफ फिल्म आर्ट्स
What's Your Reaction?






