लता मंगेशकर का पहला और आखिरी छत्तीसगढ़ी गीत बना अमर धरोहर
स्वर कोकिला लता मंगेशकर ने अपने लंबे करियर में केवल एक छत्तीसगढ़ी गीत गाया था – “छूट जाही अंगना अटारी...”। यह गीत फिल्म ‘भकला’ (2006) में शामिल हुआ और आज भी छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर माना जाता है।

भारतीय संगीत की स्वर कोकिला लता मंगेशकर का नाम सुनते ही श्रोताओं के कानों में अनगिनत मधुर धुनें गूंज उठती हैं। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि उन्होंने अपने लंबे करियर में सिर्फ एक छत्तीसगढ़ी गीत गाया था। यह गीत था – “छूट जाही अंगना अटारी, छूटही बाबू के पिठइया”, जो फिल्म ‘भकला’ (2006) में शामिल हुआ।
गीत के बोल और संगीत ने छत्तीसगढ़ की लोकसंस्कृति को खास पहचान दिलाई। इसे गीतकार मदन शर्मा ने लिखा और संगीतकार कल्याण सेन ने संगीतबद्ध किया। यह गीत 22 फरवरी 2005 को मुंबई के स्वरलता स्टूडियो में रिकॉर्ड किया गया था। लता जी की मधुर आवाज में जब यह गीत रिकॉर्ड हुआ, तो पूरे छत्तीसगढ़ के लिए यह ऐतिहासिक क्षण बन गया।
रोचक बात यह रही कि लता जी को यह गीत गाने के लिए गीतकार को कई बार मुंबई जाना पड़ा और उन्हें मनाने में लंबा समय लगा। अंततः लता जी ने गीत गाया और रिकॉर्डिंग के बाद अपनी तय फीस में से ₹50,000 वापस लौटा दिए। उन्होंने कहा था कि “यह मेरा पहला छत्तीसगढ़ी गीत है, इसे मिठाई बांटकर मनाइए।”
आज भी यह गीत शादी-ब्याह के मौके पर विशेष रूप से बजाया जाता है और लोगों की भावनाओं से गहराई से जुड़ा हुआ है। यह सिर्फ एक गीत नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की लोकधरोहर है जिसे लता जी ने अपनी अमर आवाज से हमेशा के लिए जीवंत कर दिया।
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