अभिनय आत्मा की साधना है, योग और अध्यात्म उसका आधार” – अखिलेन्द्र मिश्रा
अभिनय आत्मा की साधना है, योग और अध्यात्म उसका आधार” – अखिलेन्द्र मिश्रा
रायपुर।
“एक अभिनेता दरअसल दो जीवन जीता है — एक अपना और दूसरा उस चरित्र का जिसे वह मंच या परदे पर निभा रहा होता है। अभिनय का असली सौंदर्य सजावट या तामझाम में नहीं, बल्कि भीतर की साधना में छिपा है। जब दर्शक अभिनेता को भूलकर केवल किरदार को जीने लगे, तभी अभिनय सच्चा कहलाता है।” — ऐसा कहना था विख्यात अभिनेता, लेखक और रंगमंच व्यक्तित्व अखिलेन्द्र मिश्रा का।
गोल्डन फ्रेम एकेडमी ऑफ फिल्म आर्ट्स, समता कॉलोनी में चल रही 90 दिवसीय रंगमंच कार्यशाला के 30वें दिन आयोजित विशेष सत्र में मिश्रा ने प्रतिभागियों और कला-जगत से जुड़े लोगों से विस्तृत संवाद किया।
आवाज़, योग और ‘रस’ पर गहन चर्चा
सुबह के सत्र में मिश्रा ने आवाज़ और मॉड्युलेशन के फर्क को समझाया तथा नवरस की गहराई पर विस्तार से बात की। उन्होंने कहा कि “बिना अभिनय के रस अधूरा है और बिना रस के अभिनय। दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं।”
उन्होंने एक अभिनेता के लिए योग और ध्यान को बेहद जरूरी बताते हुए कहा कि योग न केवल शरीर को अनुशासित करता है बल्कि संवेदनाओं को भी जाग्रत करता है। मिश्रा ने ज्ञानेंद्रियों और कर्मेंद्रियों के सही उपयोग पर भी अपने अनुभव साझा किए।
“Know the self” – अध्यात्म का मूल
चर्चा के दौरान मिश्रा ने अभिनय और अध्यात्म के गहरे संबंध को रेखांकित करते हुए कहा —
“‘Know the self’ यानी अपने भीतर के अस्तित्व को पहचानना ही असली अध्यात्म है। जब अभिनेता स्वयं को जानता है तभी वह चरित्र को सही रूप में जी पाता है।”
किताब और किरदार
मिश्रा ने कोरोना काल में लिखी अपनी पुस्तक ‘अभिनय, अभिनेता और अध्यात्म’ का उल्लेख करते हुए उसके विचार साझा किए। साथ ही उन्होंने अपनी आगामी फिल्मों, धारावाहिकों और पुस्तकों की झलक भी पेश की।
उन्होंने कहा कि चाहे ‘द लीजेंड ऑफ भगत सिंह’ में चंद्रशेखर आज़ाद का किरदार हो या ‘गंगाजल’ में एक साधारण सिपाही की भूमिका — हर किरदार उनके लिए आत्म-अन्वेषण और साधना का मार्ग रहा है।
सत्र में रहे अनेक गणमान्य
इस मौके पर कार्यशाला निर्देशक जयंत देशमुख, गोल्डन फ्रेम एकेडमी के फाउंडर डायरेक्टर्स राजीव श्रीवास्तव, विक्रांत झा और पल्लवी शिल्पी सहित सुभाष मिश्र, योग मिश्र, डॉ. योगेंद्र चौबे, आचार्य रंजन मोदक, गौरव गिरिजा शुक्ला, कौशल विश्वकर्मा, अविनाश बावनकर, अनुपम वर्मा तथा कार्यशाला के सभी प्रतिभागी उपस्थित रहे।
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